आदमी एक रूप तीन
"जी हुजूर, पहली तोते की, दूसरी शेर की, तीसरी गधे की। परन्तु आज नहीं, कल।" बीरबल ने कहा।
"ठीक है, तुम्हें कल का समय दिया जाता है", बादशाह ने इजाजत देते हुए कहा।
अगले दिन बीरबल एक व्यक्ति को पालकी में डालकर लाया और उसे पालकी से बाहर निकाला। फिर उस आदमी को शराब का एक पैग दिया। शराब पीकर वह आदमी डरकर बादशाह से विनती करने लगा- "हुजूर! मुझे माफ कर दो। मैं एक बहुत गरीब आदमी हूं।" बीरबल ने बादशाह को बताया, "यह तोते की बोली है"
कुछ देर बाद उस आदमी को एक पैग और दिया तो वह नशे में बादशाह से बोला, "अरे जाओ, तुम दिल्ली के बादशाह हो तो क्या, हम भी अपने घर के बादशाह हैं। हमें ज्यादा नखरे मत दिखाओ"
बीरबल ने बताया, "यह शेर की बोली है", कुछ देर बाद उस आदमी को एक पैग और दिया तो वह नशे में एक तरफ गिर गया और नशे में ऊटपटांग बड़बड़ाने लगा।
बीरबल ने उसे एक लात लगाते हुए बादशाह से कहा, "हुजूर! यह गधे की बोली है"
बादशाह बहुत खुश हुए। उन्होंने बीरबल को बहुत-सा इनाम दिया।
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